Nagpanchami : आज खेतों में नहीं चलते हल, रोटी-चावल भी नहीं बनते

Nagpanchami : आज श्रद्धाभाव से सभी दूर नागपंचमी का पर्व मनाया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्र में खासतौर से यह त्यौहार बड़ी आस्था के साथ मनाया जाता है। नागपंचमी पर नागदेवता की पूजा-अर्चना की जाती है। यह तो सभी जानते हैं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में इस पर्व पर कई मान्यताओं का भी बड़ी शिद्दत से पालन किया जाता है, यह बात आप में से बहुतों को नहीं पता होगी।

Nagpanchami : आज खेतों में नहीं चलते हल, रोटी-चावल भी नहीं बनते

Nagpanchami : आज श्रद्धाभाव से सभी दूर नागपंचमी का पर्व मनाया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्र में खासतौर से यह त्यौहार बड़ी आस्था के साथ मनाया जाता है। नागपंचमी पर नागदेवता की पूजा-अर्चना की जाती है। यह तो सभी जानते हैं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में इस पर्व पर कई मान्यताओं का भी बड़ी शिद्दत से पालन किया जाता है, यह बात आप में से बहुतों को नहीं पता होगी।

ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका का प्रमुख स्रोत खेती बाड़ी ही होता है। ऐसे में किसानों को और उनके मवेशियों को हर मौसम में खेतों में जाकर काम करना होता है। यही कारण है कि इस पर्व पर नाग देवता की पूजा-अर्चना कर उनसे यही कामना की जाती है कि वे उन्हें कभी नुकसान न पहुंचाएं। नागदेवता के प्रति असीम आस्था के ही चलते कई परंपराएं भी हैं, जिनका निर्वहन आज भी पूरी आस्था के साथ होता है।

खेतों में नहीं चलते हल

माना जाता है कि धरती नाग देवता का घर होती है। उसी में वे निवास करते हैं। आज के दिन उन्हें जरा भी कोई विघ्र न हो और उनके आराम में खलल न पड़े, इस सोच के साथ आज ग्रामीण क्षेत्र में कोई भी किसान खेत में हल नहीं चलाते हैं। इतना ही नहीं किसी भी कार्य के लिए जमीन की खुदाई आज नहीं की जाती है।

नहीं बनते रोटी-चावल

गांवों में आज रोटी और चावल-दाल भी नहीं बनाए जाते हैं। दरअसल, तवा को नागदेवता का फन माना जाता है। इसलिए उसे चूल्हे या गैस पर नहीं रखा जाता है। इसी तरह चावल को नागदेवता के दांत और दाल को उनकी आंख माना जाता है। यही कारण है कि आज यह सब भी नहीं बनाए जाते हैं। इन मान्यताओं से परिचित कई होटल-ढाबे संचालक भी इनका पालन करते हैं।

बालों में नहीं करते हैं कंघी

नागपंचमी से जुड़ी एक और मान्यता यह है कि आज के दिन महिलाएं कंघी भी नहीं करती हैं। बालों को नागदेवता के फन का आकार माना जाता है और इसलिए इस मान्यता का पालन किया जाता है। ग्रामीण क्षेत्र में बुजुर्ग महिलाएं आज भी इस मान्यता का पालन करती हैं।

Uttam Malviya

उत्तम मालवीय : मैं इस न्यूज वेबसाइट का ऑनर और एडिटर हूं। वर्ष 2001 से पत्रकारिता में सक्रिय हूं। सागर यूनिवर्सिटी से एमजेसी (मास्टर ऑफ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री प्राप्त की है। नवभारत भोपाल से अपने करियर की शुरुआत करने के बाद दैनिक जागरण भोपाल, राज एक्सप्रेस भोपाल, नईदुनिया और जागरण समूह के समाचार पत्र 'नवदुनिया' भोपाल में वर्षों तक सेवाएं दी। अब इस न्यूज वेबसाइट का संचालन कर रहा हूं। मुझे उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए प्रतिष्ठित सरोजिनी नायडू पुरस्कार प्राप्त करने का सौभाग्य भी नवदुनिया समाचार पत्र में कार्यरत रहते हुए प्राप्त हो चुका है।

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