Anokhi Pahal : बैतूल में अनोखी पहल, बहन के नाम से रोपे जाएंगे पौधे
Anokhi Pahal : मध्यप्रदेश का बैतूल जिला कई अनूठी पहलों के लिए जाना जाता है। इसी कड़ी में यहां एक और सार्थक शुरूआत की गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक पेड़ मां के नाम अभियान से प्रेरित होकर यह पहल शुरू की गई है।
Anokhi Pahal : मध्यप्रदेश का बैतूल जिला कई अनूठी पहलों के लिए जाना जाता है। इसी कड़ी में यहां एक और सार्थक शुरूआत की गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक पेड़ मां के नाम अभियान से प्रेरित होकर यह पहल शुरू की गई है।
बैतूल के युवा समाजसेवी कुशकुंज अरोरा ने रक्षाबंधन के अवसर पर ‘एक पेड़ बहन के नाम’ अभियान की शुरुआत की है। इस पहल का उद्देश्य बहन-भाई के रिश्ते को पर्यावरण संरक्षण से जोड़ना है।
कुशकुंज अरोरा ने इस अभियान के माध्यम से रक्षाबंधन पर बहनों के नाम पर पौधरोपण करने का संदेश दिया है। जिससे पर्यावरण की रक्षा के साथ-साथ रिश्तों की गहराई और समर्पण को भी नई दिशा दी जा सके।
रामवन में की कुशकुंज ने शुरूआत
रामवन हमलापुर में कुशकुंज अरोरा ने अपनी बहन लवलीन अरोरा के नाम पर नारियल का पौधा रोपित किया और फिर राखी बांधकर दोनों ने मिलकर पर्यावरण की रक्षा का संकल्प लिया।
पर्व से जुड़ गई पर्यावरण की रक्षा
कुशकुंज अरोरा ने इस अवसर पर कहा, रक्षाबंधन का पर्व हमेशा से भाई-बहन के रिश्ते का प्रतीक रहा है, लेकिन इस बार हमने इसे एक और उद्देश्य के साथ जोड़ा है- पर्यावरण की रक्षा।
जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों को देखते हुए, यह जरूरी है कि हम अपने पर्यावरण की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाएं। इस पौधरोपण के जरिए हम आने वाली पीढ़ियों और परिवारों की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं।
45 दिनों में रोप जाएंगे 5100 पौधे
इस अभियान के तहत, कुशकुंज अरोरा और ग्रीन टाइगर संगठन ने 45 दिनों के भीतर 5100 पौधे लगाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कुशकुंज और उनकी टीम लगातार प्रयासरत हैं, और उनका मानना है कि यह पहल पर्यावरण संरक्षण में मदद करेगी, समाज के अन्य लोगों को भी प्रेरित करेगी।
मुहिम को आगे बढ़ाने का संकल्प
इस अवसर पर भागवत चढ़ोकार, तरुण वैद्य, पंकज खातरकर, संतोष डेहरिया, दीपक नामदेव, भावेश पटेल, रणधीर, और मोनू रैकवार भी उपस्थित रहे। सभी ने इस पहल की सराहना की और इस मुहिम को और आगे बढ़ाने का संकल्प लिया।
रक्षाबंधन नए अर्थ में परिभाषित
कुशकुंज अरोरा और उनकी बहन लवलीन अरोरा की इस पहल ने रक्षाबंधन को नए अर्थों में परिभाषित किया है, जहां रक्षासूत्र ने केवल भाई-बहन के बीच के प्रेम को ही नहीं बल्कि धरती माता के प्रति हमारी जिम्मेदारियों को भी मजबूती से जोड़ दिया है।
उनका यह प्रयास निश्चित रूप से आने वाले समय में और भी प्रेरणादायक साबित होगा, और समाज में पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने का काम करेगा।