MPPGCL : हद हो गई… 5.66 लाख का काम ले लिया 1.89 लाख में, कितनी रहेगी गुणवत्ता

MPPGCL : सरकार जीरो टालरेंस की बात करती है। लेकिन, इसकी जमीनी हकीकत किसी से छिपी नहीं है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि विकास कार्यों में भ्रष्टाचार बढ़ता ही जा रहा है। इसमें प्रमुख भूमिका जिम्मेदार विभाग भी निभा रहे हैं। बावजूद इसके शासन द्वारा ठोस कारवाई नहीं की जा रही। इसके चलते भ्रष्टाचार बढ़ रहा है।

MPPGCL : हद हो गई... 5.66 लाख का काम ले लिया 1.89 लाख में, कितनी रहेगी गुणवत्ता

⇓ कालीदास चौरासे, सारनी

MPPGCL : सरकार जीरो टालरेंस की बात करती है। लेकिन, इसकी जमीनी हकीकत किसी से छिपी नहीं है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि विकास कार्यों में भ्रष्टाचार बढ़ता ही जा रहा है। इसमें प्रमुख भूमिका जिम्मेदार विभाग भी निभा रहे हैं। बावजूद इसके शासन द्वारा ठोस कारवाई नहीं की जा रही। इसके चलते भ्रष्टाचार बढ़ रहा है।

कारवाई के अभाव में ठेकेदार कुछ इस कदर निरंकुश हो गए हैं कि अब स्वीकृत दर से कम दर पर काम लेने की प्रतिस्पर्धा का प्रतिशत करीब 70 फीसदी हो गया है। इसके प्रत्यक्ष प्रमाण मध्य प्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी, वेस्टर्न कोल फील्ड्स लिमिटेड और नगर पालिका परिषद द्वारा विकास कार्यों के लिए निकाले जा रहे टेंडर हैं।

इन टेंडरों को लेने ठेकेदारों की होड़ लगती है और स्वीकृत दर से अधिकतम कम दर पर काम लेने प्रतिस्पर्धा हो रही है। इसमें खास बात यह है कि अधिकतम कम दर पर काम लेने की ठेकेदारों ने सारी हदें पार कर दी है।

MPPGCL : हद हो गई... 5.66 लाख का काम ले लिया 1.89 लाख में, कितनी रहेगी गुणवत्ता

66 प्रतिशत तक कम दर पर

पॉवर प्लांट के एक के बाद एक तीन ऐसे टेंडर हैं जो ठेकेदारों ने 66.49 प्रतिशत, 57 प्रतिशत और 47 प्रतिशत कम दर पर लिए हैं। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि ठेकेदार अभियंताओं को किस तरह चुनौती दे रहे हैं। इतना ही नहीं इस संपूर्ण मामले में शासन, प्रशासन मूक दर्शक बना है।

पॉवर हाउस में यह होने हैं काम

मध्य प्रदेश पॉवर जनरेटिंग कंपनी द्वारा निकाले गए टेंडर को स्वीकृत दर 67 प्रतिशत कम दर पर लिया गया है। यह कार्य शमा इंटर प्राइजेस को मिला है। ठेकेदार को वीआईपी रेस्ट हाउस पुताई करना है। ठेकेदारों का मानना है कि जितनी राशि का पेंट पुताई में लगना है। उतनी राशि में यह ठेका लिया गया है। यह ठेकेदार पॉवर प्लांट के इंजीनियर को सीधे चुनौती दे रहा है।

प्रमुख सचिव को करना चाहिए निगरानी

इसलिए इसकी निगरानी प्रमुख सचिव ऊर्जा, एमडी और चीफ इंजीनियर को स्वयं करनी चाहिए। ताकि पता चल सके कि 5 लाख 66 हजार 415 रुपए का काम 1 लाख 89 हजार 805 रुपए में कोई कैसे कर सकता है। यदि ठेकेदार इतनी कम राशि में गुणवत्तापूर्ण कार्य कर लेता है तो फिर एस्टीमेट बनाने वाले इंजीनियर अधिक राशि का एस्टीमेट बनाकर कंपनी को क्यों नुकसान पहुंचा रहे हैं।

मजदूरों का शोषण, गुणवत्ता से समझौता

स्वीकृत दर से कम दर पर काम लेकर कार्य कर रहे ठेकेदार पहले तो मजदूर को कम दिहाड़ी देकर उनका शोषण करते हैं। फिर कार्य की गुणवत्ता से समझौता करते हैं। इतना ही नहीं, विकास कार्यों में उपयोग की जाने वाली सामग्रियों की गुणवत्ता से भी समझौता करते हैं। यही वजह है कि विभिन्न विभागों द्वारा कराए जा रहे विकास कार्य चंद दिनों में ही दम तोड़ देते हैं।

गुणवत्ताहीन कार्यों का भी भुगतान

इसकी देखरेख की संपूर्ण जिम्मेदारी विभागों द्वारा अभियंताओं को दी जाती है। बावजूद इसके विकास कार्यों में उपयोग की जाने वाली सामग्री और अभियंताओं को चुनौती देने वाले ठेकेदारों के कार्यों को उसी विभाग के अभियंता अप्रूव्ड कर देते हैं। जिसके चलते गुणवत्ताहीन कार्यों का भुगतान भी आसानी से हो जाता है। यही वजह है कि ठेकेदार अभियंताओं के एस्टीमेट को सीधे चुनौती दे रहे हैं।

स्वीकृत दर से 67, 56 और 47 प्रतिशत कम दर पर काम लेने की जानकारी है। ठेकेदार गुणवत्ता के साथ इतनी कम दर पर कैसे काम करेंगे। यह जांच का विषय है। कार्य की गुणवत्ता से समझौता नहीं होने देंगे। इतने कम दर पर काम लेने वाले ठेकेदारों को चिन्हित किया जा रहा है।

वीके कैथवार, चीफ इंजीनियर, सतपुड़ा पॉवर प्लांट, सारनी

Uttam Malviya

उत्तम मालवीय : मैं इस न्यूज वेबसाइट का ऑनर और एडिटर हूं। वर्ष 2001 से पत्रकारिता में सक्रिय हूं। सागर यूनिवर्सिटी से एमजेसी (मास्टर ऑफ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री प्राप्त की है। नवभारत भोपाल से अपने करियर की शुरुआत करने के बाद दैनिक जागरण भोपाल, राज एक्सप्रेस भोपाल, नईदुनिया और जागरण समूह के समाचार पत्र 'नवदुनिया' भोपाल में वर्षों तक सेवाएं दी। अब इस न्यूज वेबसाइट का संचालन कर रहा हूं। मुझे उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए प्रतिष्ठित सरोजिनी नायडू पुरस्कार प्राप्त करने का सौभाग्य भी नवदुनिया समाचार पत्र में कार्यरत रहते हुए प्राप्त हो चुका है।

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