Success Story : डेयरी व्यवसाय से गरीबी को दी मात, बन गईं लखपति
Success Story : गरीबी में जन्म लेना अभिशाप नहीं है। अभिशाप है जिंदगी भर गरीब बने रहकर गरीब के रूप में ही मर जाना। इस बात में कोई शक नहीं है। बहुत से लोग गरीब के रूप में जन्म लेते हैं और गरीबी से ऊपर उठने के प्रयास किए बगैर गरीब के रूप में ही दुनिया छोड़ जाते हैं।
Success Story : गरीबी में जन्म लेना अभिशाप नहीं है। अभिशाप है जिंदगी भर गरीब बने रहकर गरीब के रूप में ही मर जाना। इस बात में कोई शक नहीं है। बहुत से लोग गरीब के रूप में जन्म लेते हैं और गरीबी से ऊपर उठने के प्रयास किए बगैर गरीब के रूप में ही दुनिया छोड़ जाते हैं।
यह जरुर है कि जो लोग अपने जज्बे से गरीबी को मात देने का हौसला दिखाते हैं और कामयाब भी होते हैं, उनकी कोशिशों को दुनिया सलाम करती है। आज हम भी ऐसी ही एक शख्सियत की चर्चा करेंगे। यह शख्सियत है खरगौन जिले की छाया यादव। छाया यादव ने गरीबी को बहुत करीब से देखा है। उन्हें अच्छी तरह पता है कि अभावों के बीच रहकर कैसे जीवन गुजारा जाता है। लेकिन अब छाया यादव के दिन बदल गए हैं।
अब हर माह 20 हजार शुद्ध आय
छाया यादव ने मध्यप्रदेश ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़कर डेयरी व्यवसाय को अपना लिया है। इस व्यवसाय से उन्हें अब हर माह 20 हजार रुपये की शुद्ध आय हो रही है। छाया की इस सफलता ने उनका सामाजिक रूतबा भी बढ़ा दिया है। अब हर कोई उन्हें लखपति छाया दीदी के नाम से पहचानता है।
रोजगार के नहीं थे कोई साधन
खरगौन जिले के भीकनगांव विकासखण्ड के ग्राम रेहगांव की छाया यादव के परिवार में 4 सदस्य हैं। परिवार के पास कम कृषि भूमि होने और रोजगार के साधन नहीं होने के कारण उनके परिवार को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता था। लेकिन जब छाया यादव आजीविका मिशन से जुड़ गई तो उनके दिन भी बदलने लगे।
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पति के साथ शुरू किया काम
आजीविका मिशन से जुड़ने के बाद उन्होंने अपने पति सुनील यादव के साथ पशु पालन का काम प्रारंभ किया। शुरूआत में उन्होंने कम दूध देने वाली भैंसों को कम कीमत में लेकर उन्हें अच्छी तरह से तैयार ऊँची कीमत में बेचना शुरू किया। इसके बाद छाया यादव ने बैंक से एक लाख रुपये का ऋण लेकर डेयरी का काम शुरू किया। इस काम में पूरे परिवार ने उनका साथ दिया।
रोज इतने दूध की होती बिक्री
आज वह प्रतिदिन 30 से 40 लीटर दूध बेच रही है। इससे उन्हें प्रतिमाह 15 से 20 हजार रुपये तक की शुद्ध बचत होने लगी है। छाया दीदी ने डेयरी व्यवसाय से मिले अनुभवों का लाभ लेकर जैविक खेती करना भी प्रारंभ किया। इस काम से वे अधिक उत्पादन लेने वाले किसानों में शामिल हो गई हैं। छाया दीदी ने श्रीराम आजीविका समूह से एक लाख 50 हजार रुपये का ऋण लिया।
जीवन स्तर और रहन सहन बदला
अच्छी आमदनी होने से परिवार का जीवन स्तर और रहन-सहन भी बदल गया है। अब वे अपने बच्चों की अच्छी शिक्षा व स्वास्थ्य के बारे में भी ध्यान देने लगी हैं। गरीबी से निकलकर सफलता की सीढ़ी चढ़ने वाली छाया दीदी अब अपने क्षेत्र की दूसरी महिलाओं के लिए भी प्रेरणास्त्रोत बन गई है।