AIOCD : केमिस्ट बोले- …तो फिर हम नहीं बेच पाएंगे यह दवाइयां

AIOCD : नारकोटिक विभाग द्वारा प्रस्तावित नए नियमों के विरोध में नेशनल केमिस्ट संगठन- ऑल इंडिया ऑर्गनाइजेशन ऑफ केमिस्ट्स एंड ड्रगिस्ट्स (एआईओसीडी) ने अपनी गंभीर चिंता व्यक्त की है। बैतूल जिला औषधि विक्रेता कल्याण संघ के अध्यक्ष मनजीत सिंह साहनी और सचिव सुनील कुमार सलूजा ने जानकारी दी कि एआईओसीडी पूरे भारत के मेडिसिन डीलर्स एसोसिएशनों का प्रतिनिधि निकाय है।

AIOCD : केमिस्ट बोले- ...तो फिर हम नहीं बेच पाएंगे यह दवाइयां

AIOCD : नारकोटिक विभाग द्वारा प्रस्तावित नए नियमों के विरोध में नेशनल केमिस्ट संगठन- ऑल इंडिया ऑर्गनाइजेशन ऑफ केमिस्ट्स एंड ड्रगिस्ट्स (एआईओसीडी) ने अपनी गंभीर चिंता व्यक्त की है। बैतूल जिला औषधि विक्रेता कल्याण संघ के अध्यक्ष मनजीत सिंह साहनी और सचिव सुनील कुमार सलूजा ने जानकारी दी कि एआईओसीडी पूरे भारत के मेडिसिन डीलर्स एसोसिएशनों का प्रतिनिधि निकाय है।

एआईओसीडी ने हाल ही में नारकोटिक विभाग द्वारा जारी की गई सार्वजनिक अधिसूचना का विरोध किया है। 5 अगस्त को जारी अधिसूचना में केमिस्ट्स, स्टॉकिस्ट्स और दवा विक्रेताओं को आदेश दिया गया है कि वे समय-समय पर नारकोटिक ड्रग्स और साइकोट्रोपिक दवाओं की आपूर्ति से संबंधित डेटा विभाग की वेबसाइट पर दर्ज करें। यह आदेश नारकोटिक दवाओं की अवैध चैनलों में जाने से रोकने के लिए दिया गया है।

नहीं कर पाएंगे इन दवाओं का वितरण

एआईओसीडी के अध्यक्ष जेएस शिंदे ने इस अधिसूचना के प्रारूप और इसके कार्यान्वयन की जटिलता पर अपनी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि यदि यह नियम लागू हुआ, तो संगठन के कई सदस्य इन दवाओं के वितरण से खुद को अलग कर सकते हैं। इसके साथ ही, सीबीएन द्वारा 30 सितंबर 2024 तक साइकोट्रोपिक पदार्थों के लिए ऑनलाइन पोर्टल पर त्रैमासिक रिटर्न दाखिल करने के लिए भी सभी हितधारकों को निर्देशित किया गया है।

बढ़ जाएगा प्रशासनिक बोझ

एआईओसीडी के महासचिव राजीव सिंघल ने बताया कि नियम 65 केवल साइकोट्रोपिक पदार्थों के निर्माताओं पर लागू होता है। और इसे दवा व्यापार पर लागू करना अनुचित है। उन्होंने कहा कि देशभर में करीब 10 लाख व्यापारियों द्वारा पंजीकरण और जटिल त्रैमासिक रिटर्न दाखिल करने से न केवल व्यापारियों पर, बल्कि नारकोटिक विभाग पर भी प्रशासनिक बोझ बढ़ जाएगा।

गांवों में नेट-बिजली की समस्या

विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों में, जहां इंटरनेट और बिजली की समस्या आम है, इन कठिनाइयों को देखते हुए केमिस्ट्स का मानना है कि नियम 65 के तहत उत्पीड़न या प्रक्रियात्मक त्रुटियों के डर से वे इन दवाओं का वितरण करने से बच सकते हैं। एनडीपीएस अधिनियम के कठोर दंडात्मक प्रावधानों के चलते, इस नियम के कारण देश में आवश्यक दवाओं की कमी होने का खतरा है।

तत्काल संशोधन की उठाई है मांग

इस मुद्दे को लेकर एआईओसीडी ने नारकोटिक विभाग को एक विस्तृत ज्ञापन भेजा है, जिसमें उन्होंने व्यापारियों को नियम 65 के दायरे से बाहर रखने और सार्वजनिक नोटिस में तत्काल संशोधन करने की मांग की है।

सख्ती से दवा उपलब्धता होगी कम

संगठन का मानना है कि इन नियमों का सख्ती से पालन करने से देश में आवश्यक दवाओं की उपलब्धता में कमी आ सकती है, जिससे स्थिति और खराब हो सकती है।

एआईओसीडी ने सरकार से अपील की है कि वे इस नियम के कार्यान्वयन से पहले सभी पक्षों की चिंताओं पर गंभीरता से विचार करें, ताकि देश में दवाओं की आपूर्ति बाधित न हो और सभी को समय पर आवश्यक चिकित्सा सुविधाएं मिल सकें।

Uttam Malviya

उत्तम मालवीय : मैं इस न्यूज वेबसाइट का ऑनर और एडिटर हूं। वर्ष 2001 से पत्रकारिता में सक्रिय हूं। सागर यूनिवर्सिटी से एमजेसी (मास्टर ऑफ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री प्राप्त की है। नवभारत भोपाल से अपने करियर की शुरुआत करने के बाद दैनिक जागरण भोपाल, राज एक्सप्रेस भोपाल, नईदुनिया और जागरण समूह के समाचार पत्र 'नवदुनिया' भोपाल में वर्षों तक सेवाएं दी। अब इस न्यूज वेबसाइट का संचालन कर रहा हूं। मुझे उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए प्रतिष्ठित सरोजिनी नायडू पुरस्कार प्राप्त करने का सौभाग्य भी नवदुनिया समाचार पत्र में कार्यरत रहते हुए प्राप्त हो चुका है।

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