Betul Indore Highway : खेत बना तालाब, फसल डूबी, जाने को रास्ता नहीं

Betul Indore Highway : बैतूल-इंदौर फोरलेन नेशनल हाईवे अपने गुणवत्ताहीन कार्यों के लिए मशहूर हो गया है। वहीं दूसरी ओर आसपास के खेत मालिकों के लिए यह हाईवे निर्माण कंपनी के कारण एक नासूर बन गया है। उनके खेत तालाब बन गए हैं। इससे उनकी फसल डूब गई है वहीं खेत में जाने तक को रास्ता नहीं है।

Betul Indore Highway : खेत बना तालाब, फसल डूबी, जाने को रास्ता नहीं

⇓ मनोहर अग्रवाल, खेड़ी सांवलीगढ़

Betul Indore Highway : बैतूल-इंदौर फोरलेन नेशनल हाईवे अपने गुणवत्ताहीन कार्यों के लिए मशहूर हो गया है। वहीं दूसरी ओर आसपास के खेत मालिकों के लिए यह हाईवे निर्माण कंपनी के कारण एक नासूर बन गया है। उनके खेत तालाब बन गए हैं। इससे उनकी फसल डूब गई है वहीं खेत में जाने तक को रास्ता नहीं है। उन्हें कहीं से कोई मदद भी नहीं मिल रही।

प्राप्त जानकारी के अनुसार कई किसानों के खेतों की भूमि अधिग्रहित कर फोरलेन का निर्माण किया गया है। लेकिन, उचित तरीके से निर्माण नहीं किए जाने से कई किसान बड़ी मुसीबत में हैं। खेड़ी सांवलीगढ़ करंजी नदी ब्रिज के पास खेती करने वाले किसान गुलाब सोनारे, उदय सोनारे और दिलीप सोनारे की भी ऐसी ही दर्द भरी कहानी है।

Betul Indore Highway : खेत बना तालाब, फसल डूबी, जाने को रास्ता नहीं

इन किसानों ने बताया कि फोरलेन बनाने वाली बंसल कंपनी के द्वारा सड़क का निर्माण तो कर दिया, लेकिन पास के नाले में बाढ़ और बरसात ने पूरे खेत में कहर ढा दिया है। खेत की फसलें पूरी तरह पानी में डूबी हुई हैं।

पानी निकासी की व्यवस्था नहीं

सड़क तो बन गई, लेकिन बंसल कंपनी के द्वारा पानी निकासी नहीं किए जाने से फसल बर्बाद हो रही है। वही कंपनी के अधिकारी और तहसीलदार बैतूल के द्वारा खेतों का निरीक्षण करने के एक साल बाद भी कोई सुधार नहीं हुआ है।

लाखों में खेलने वाले बदहाल

यही कारण है कि जो किसान प्रति वर्ष लाखों रुपए का गन्ना शुगर मिल को बेचता था, वह वर्तमान में बद से बदतर हालात में है। अपनी खेती बाड़ी की समस्या को लेकर चिंताग्रस्त है। जब भी वे खेत की ओर जाते हैं तो खेतों में फसलें पानी में डूबी देखकर बड़े दु:खी होते हैं। उन्हें बंसल कंपनी या प्रशासन की ओर से कोई मदद नहीं मिल रही है।

खेत के पास बन गया तालाब

उन्होंने बताया कि खेत के पास सड़क के रूप में तालाब बन गया है। जिसमें फसल डूब चुकी है। इससे उन्हें प्रति वर्ष लाखों का नुकसान उठाना पड़ रहा है। जिले के संवेदनशील कलेक्टर नरेंद्र सूर्यवंशी से किसानों को उम्मीद है वे उनकी इस विकराल समस्या की ओर ध्यान देकर इससे निजात दिलाएं।

Uttam Malviya

उत्तम मालवीय : मैं इस न्यूज वेबसाइट का ऑनर और एडिटर हूं। वर्ष 2001 से पत्रकारिता में सक्रिय हूं। सागर यूनिवर्सिटी से एमजेसी (मास्टर ऑफ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री प्राप्त की है। नवभारत भोपाल से अपने करियर की शुरुआत करने के बाद दैनिक जागरण भोपाल, राज एक्सप्रेस भोपाल, नईदुनिया और जागरण समूह के समाचार पत्र 'नवदुनिया' भोपाल में वर्षों तक सेवाएं दी। अब इस न्यूज वेबसाइट का संचालन कर रहा हूं। मुझे उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए प्रतिष्ठित सरोजिनी नायडू पुरस्कार प्राप्त करने का सौभाग्य भी नवदुनिया समाचार पत्र में कार्यरत रहते हुए प्राप्त हो चुका है।

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