Betul’s famous food item : यहां रोज चट कर जाते हैं 50 किलो दाल के भाजी बड़े, खास है इनका स्वाद
Betul's famous food item : हमारा भारत विविधताओं का देश है। यहां हर क्षेत्र का एक खास खान-पान, पहनावा और संस्कृति होती है। इनमें भी किसी एक विशेष स्थान पर खाने की कोई विशेष चीज इतनी मशहूर हो जाती है कि वही उस स्थान की पहचान बन जाती है। मध्यप्रदेश के बैतूल जिले में भी एक ऐसा ही गांव हैं जो कि वहां सालों से बनने वाले विशेष भाजी बड़ों की वजह से बड़ा प्रसिद्ध हो गया है।
Betul’s famous food item : हमारा भारत विविधताओं का देश है। यहां हर क्षेत्र का एक खास खान-पान, पहनावा और संस्कृति होती है। इनमें भी किसी एक विशेष स्थान पर खाने की कोई विशेष चीज इतनी मशहूर हो जाती है कि वही उस स्थान की पहचान बन जाती है। मध्यप्रदेश के बैतूल जिले में भी एक ऐसा ही गांव हैं जो कि वहां सालों से बनने वाले विशेष भाजी बड़ों की वजह से बड़ा प्रसिद्ध हो गया है।
यह गांव है मुलताई-छिंदवाड़ा हाईवे पर स्थित ग्राम दुनावा। आप शायद यकीन नहीं करेंगे कि इस छोटे से गांव में स्थित होटल विजय स्वीट्स में रोजाना लगभग 2000 भाजी बड़े बिक जाते हैं। इन भाजी बड़ों की प्रसिद्धि ऐसी है कि क्षेत्रीय लोग ही नहीं बल्कि इस हाईवे से गुजरने वाले अधिकांश लोग यहां का भाजी बड़ा खाने के लिए जरूर रुकते हैं।
स्वाद ने दिलाई अलग पहचान
वैसे तो बड़े और जगह भी मिलते हैं, लेकिन इस दुकान के बड़े का स्वाद ही अलग है। यहां पर भाजी बड़ा कड़ी के साथ परोसा जाता है। बरबटी की दाल में बनने वाला यह बड़ा, इसमें डाली जाने वाली सब्जियों को लेकर फेमस है। इस बड़े में कभी पत्ता गोभी तो कभी गोभी, कभी पालक तो कभी मेथी के साथ प्याज, हरी मिर्च, लहसुन, अदरक के पेस्ट का इस्तेमाल किया जाता है।
इन्होंने की थी बड़ों की शुरूआत
यहां पर बड़े, दाल को भीगाने के बाद इसे पीसकर बनाए जाते हैं। जिसका स्वाद चखने के लिए दूर-दूर से लोग इस होटल पर आते हैं। सुबह 7 बजे से रात को 8-9 बजे तक यहां पर बड़े बेचे जाते हैं। दुनावा निवासी कलीराम पवार ने लगभग 35 साल पहले इसकी शुरुआत की थी। उस समय इन्होंने एक छोटी सी टापरी में इसे शुरू किया था।
पचास से दो हजार का सफर
शुरुआत में रोजाना यह 50 से 100 बड़े बेच दिया करते थे, लेकिन समय के साथ-साथ अब रोजाना 1500 से 2000 बड़े आराम से बिक जाते हैं। इसी के साथ लगभग 500 से 1000 समोसे भी यह बेच लेते हैं। इन बड़ों के साथ छाछ से बनी हुई कढ़ी इस बड़े के स्वाद को और लजीज बना देती है।
रोजाना लगती है इतनी सामग्री
बड़े की बिक्री सुबह से लेकर शाम तक चलती है। ऐसे में रोजाना 50 किलो बरबटी की दाल लगती है। इसके साथ 20 किलो प्याज, 5 किलो हरी मिर्च, 20 किलो पत्तागोभी, 10 किलो फूल गोभी, 5 किलो पालक या मेथी लग जाती है। इन बड़ों को तलने के लिए रोजाना 30 लीटर तेल भी खर्च होता है। दुकान से यह 30 रुपए प्लेट में बड़े बेचते हैं, जिसमें 2 बड़े और अन लिमिटेड कढ़ी भी देते हैं।
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घर के लिए भी ले जाते हैं लोग
दुकान पर बड़ा खाने आए कमलेश निवासी लीलाधर, रोहित पवार निवासी छिंदवाड़ा सहित अन्य ग्राहकों ने बताया कि भी जब भी इस मार्ग से गुजरते हैं, इस दुकान के बड़े जरूर खाते हैं। साथ में घर पर पैक करा कर भी ले जाते हैं। सभी का कहना है कि कड़ी के साथ यहां जो बड़ा मिलता है, उसका स्वाद बहुत अच्छा लगता है। वहीं घर पर भी इसकी अच्छी डिमांड रहती है। बच्चों सहित अन्य घर वालों को यही बड़ा पसंद है।
दो बार तला जाता है यहां बड़ा
बड़ा कच्चा ना रहे, इसके लिए इसे दो बार तला जाता है। पहले दाल के मिक्सर का गोला बनाकर इसे तेल में डाला जाता है। और कुछ देर बाद ही इस तेल से बाहर निकाल लिया जाता है। इसके बाद इसे दोनों हाथों के बीच हथेलियां से चपटाकर फिर तेल में डाल दिया जाता है और फिर गहरा सुनहरा रंग आने तक इसे तला जाता है। बताया जाता है कि ऐसा करने से बड़ा कच्चा नहीं रहता और दाल पूरी तरह से तल जाती है। वहीं इसका स्वाद भी बढ़ जाता है। दो बार तलने के बाद भी बड़े में तेल बहुत कम रहता है।
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यहां वीडियो में देखें बड़ा बनाने की पूरी प्रक्रिया…⇓
घर में बना छाछ करते हैं इस्तेमाल
कढ़ी बनाने के लिए दुकान में घर में बना हुआ छाछ इस्तेमाल किया जाता है। क्योंकि बड़े के साथ यहां मिठाई भी बेची जाती है, ऐसे में दूध बड़ी मात्रा में लिया जाता है। दूध को जमा कर इसका छाछ बनाया जाता है और फिर इससे ही कढ़ी बनाई जाती है। कढ़ी में नीम के पत्तों सहित जीरा, राई, अदरक, लहसुन का छोकन दिया जाता है। इसके बाद कढ़ी तैयार की जाती है। जो ग्राहकों को अपनी और ज्यादा खींचती है। इसी कढ़ी से बड़े का स्वाद और अधिक बढ़ जाता है।