CM Mohan Yadav : ‘‘मन-मोहन’’ ‘‘वो’’ नहीं (जो मौन रहते रहे) बल्कि मन को ‘‘मोहने’’ वाले ‘‘वाचाल’’ मोहन
CM Mohan Yadav : 9 महीने के गर्भकाल के बाद होने वाला बच्चे का ‘‘प्रतिबिंब’’ पूर्णतः माता-पिता का ही होता है। ठीक इसी प्रकार डॉ. मोहन यादव सरकार के 9 महीने के रूप को हमें उस (माता-पिता) ‘‘मतदाता’’ (भ्रूण) की नजर से देखना होगा, जिन्होंने ‘‘अनेपक्षित’’ ऐतिहासिक बहुमत से 9 महीने पूर्व भाजपा सरकार को चुना है।
मध्यप्रदेश की मोहन यादव सरकार के 9 महीने पूर्ण होने के अवसर पर विशेष
⇓ राजीव खंडेलवाल ⇓
( लेखक, कर सलाहकार एवं पूर्व बैतूल सुधार न्यास अध्यक्ष हैं )
Email: rajeevak2@gmail.com
Blog:www.aandolan.com
CM Mohan Yadav : 9 महीने के गर्भकाल के बाद होने वाला बच्चे का ‘‘प्रतिबिंब’’ पूर्णतः माता-पिता का ही होता है। ठीक इसी प्रकार डॉ. मोहन यादव सरकार के 9 महीने के रूप को हमें उस (माता-पिता) ‘‘मतदाता’’ (भ्रूण) की नजर से देखना होगा, जिन्होंने ‘‘अनेपक्षित’’ ऐतिहासिक बहुमत से 9 महीने पूर्व भाजपा सरकार को चुना है।
यद्यपि आम चुनाव के चेहरे डॉ. मोहन यादव नहीं थे, ठीक जैसे लगभग समान परिस्थितियों में बनाए गए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह चुनावी चेहरा नहीं थे। तथापि 9 महीने के कार्यकाल में मोहन यादव ने यह अहसास जरूर करा दिया है कि वे अल्पकालीन ‘‘अस्थायी’’ व्यवस्था के तहत नहीं, बल्कि ‘‘फर्श से अर्श’’ तक पहुंचने की उनकी योग्यता के चलते वे पूरी क्रियाविधि को पूर्ण करने वाले मुख्यमंत्री सिद्ध होगें।
गहरी ‘‘छाया व छाप’’ से बाहर निकलकर स्वयं की ‘‘पहचान’’ बनाई
देश के 9.38% क्षेत्र पर बसे दूसरे सबसे बड़ा राज्य, हृदय प्रदेश ‘‘मध्य प्रदेश’’ के डॉ मोहन यादव, संघ, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह की ‘‘गूढ़ राजनीति’’ के तहत (कुछ लोग उन्हें मनमोहन सिंह के सामान ‘‘एक्सीडेंटल’’ मुख्यमंत्री भी कह सकते हैं), उस शख्सियत के उत्तराधिकारी बने हैं, जिन्होंने लगभग 18 साल मध्य प्रदेश में एक-छत्र राज्य किया और ‘‘मामा’’ बनकर कई कीर्तिमान बनाए जो ‘‘गिनीज बुक ऑफ रिकार्ड्स’’ में दर्ज भी हुए।
ऐसे व्यक्तित्व की ‘वट वृक्ष छाया’ के नीचे 18 साल की ‘‘गढ़ी छवि’’ के ऊपर मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर मात्र 9 महीनों में अपनी अलग ‘‘स्वतंत्र पहचान’’ बना लेना, मेरी नजर में यही सबसे बड़ी उपलब्धि ‘‘उच्च शिक्षित’’ डॉ मोहन यादव की मुख्यमंत्री के रूप में है। मोदी-शाह के हस्तक्षेप के चलते ‘‘तकदीर’’ से बने मुख्यमंत्री मोहन अब जनता की ‘‘तकदीर’’ व प्रदेश की ‘‘तसवीर’’ बदलने में लग गये हैं।
यद्यपि यह बेमानी ही होगी कि मात्र 9 महीने के कार्यकाल की तुलना शिवराज सिंह के 18 वर्षो से की जाए। फिर भी, इस परीक्षा में आप आगे देखेंगे कि मोहन यादव ‘‘छाप और छाया’’ से सफलता पूर्वक बाहर निकल कर निरंतर आगे बढ़ रहे हैं। ‘‘शिव-राज’’ के ‘‘राज’’ में जनता को ‘‘ना-राज’’ न करने की ‘‘शिव शैली’’ से अलहदा मोहन यादव ने ‘‘सधे हुए कदमों’’ से जनहित में कड़क फैसले लेते समय नाराजगी की कोई चिंता नहीं की है।
हम लेखकों के समान ‘‘भूमिका’’ बनाने में समय व्यतीत करने की बजाए तुरंत-फुरंत (इंस्टेंट) निर्णय की अपनी शैली मोहन ने प्रदर्शित की है। मध्य प्रदेश में नि:शुल्क पीएम श्री एयर एंबुलेंस सेवा का शुभारंभ किया गया। दो कदम आगे चलकर ‘‘लाडली बहना योजना’’ के लाभार्थी ‘आशा’ और ‘लीला’ दो बहनों के घर जाकर राखी बांधकर ‘‘मामा’’ की छाया से प्रदेश को बाहर निकाल कर ‘‘भैया’’ के परसेप्शन को बनाने की ओर डॉक्टर मोहन यादव निकल चले हैं।
लोकसभा की पूरी की पूरी 29 सीटों पर धमाकेदार जीत, जिसमें 1952 से अभी तक की अपराजित (बीच में सिर्फ एक उपचुनाव को छोड़कर) कमलनाथ की छिंदवाड़ा सीट भी शामिल है और उसके बाद हुए छिंदवाड़ा जिले की ही अमरवाड़ा विधानसभा के उपचुनाव में जीत ‘संगठन’ से अच्छे तालमेल को भी सिद्ध करता है। ‘‘पर्ची’’ से मुख्यमंत्री बने मोहन यादव के शासन में अब ‘‘पर्ची लिखना और चलना बंद’’ हो गया है। (याद कीजिए ‘‘व्यापम कांड’’ के समय का)
हिंदुत्व की राह पर साहसिक निर्णय
संघ के स्वयंसेवक और एबीवीपी से आने के कारण अपनी ‘‘कट्टर हिंदुत्व’’ की छवि को और मजबूत करने के लिए उन्होंने कुछ बोल्ड महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। सर्वप्रथम तो मोहन यादव ने ‘‘महाकाल के भक्त’’ होकर ‘‘महाकाल में रूककर’’ इस मिथक को तोड़ा कि कोई भी ‘‘राजा’’ (मुख्यमंत्री) महाकाल (उज्जैनिय) में रात्रि विश्राम नहीं करता है। अन्यथा उनका राज्य (‘‘कुर्सी’’) चली जाती है।
कट्टर हिंदुत्व की राह पर चलते खुले बाजार में मीट बेचने तथा धार्मिक स्थलों पर ध्वनि प्रदूषण पर प्रतिबंध लगाने के निर्णय से लेकर जन्माष्टमी पर्व को सरकारी स्तर पर प्रोत्साहन दिया। धार्मिक न्यास व धर्मास्त्र विभाग का मुख्यालय भोपाल से गृह नगर ‘‘महाकाल’’ की नगरी उज्जैन में स्थानांतरित करने का निर्णय उनकी ‘‘दूरदृष्टि इरादे’’ को दिखाता है, जब आगामी वर्ष 2028 में उज्जैन में ‘‘सिंहस्थ’’ होगा।
- Read Also : Sarkari Yojanayen MP : श्रमिकों को एमपी में सबसे ज्यादा सामाजिक सुरक्षा, चल रही हैं यह 22 योजनाएं
भगवान कृष्ण के ‘‘आराध्य’’ होने से एक सेवक होकर कृष्ण पथ (माधव पथ) (राम गमन पथ समान) निर्माण करने का निर्णय भी लिया। गोवंश की रक्षा के लिए 7 साल की सजा का प्रावधान किया। हिन्दुत्व के क्रम को आगे बढ़ाते हुए हर ब्लाक में ‘‘बरसाना ग्राम’’ व पूरे प्रदेश में ‘‘गीता भवन’’ बनाने का भी निर्णय लिया।
‘‘बाबा महाकाल’’ की शाही सवारी के ‘‘शाही’’ शब्द को हटाकर ‘‘राजश्री सवारी’’ का इस्तेमाल संतों की सहमति से किया। रानी दुर्गावती व अवंती बाई के विषयो को शिक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल कर भारतीय संस्कृति व सांस्कृतिक पुर्नत्थान के प्रति अपने समर्पण को दृष्टिगोचर किया। उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा ‘‘देश में रहना है तो राम-कृष्ण की जय करना होगा’’।
- Read Also : Samarpit Help Desk MP : योजनाओं का लाभ लेने अब भटकने की जरुरत नहीं, एक ही जगह होंगे सारे काम
प्रदेश के सर्वांगीण विकास के लिए त्वरित निर्णय
मध्य प्रदेश देश का ऐसा पहला राज्य बन गया जहां ‘‘साइबर तहसील’’ को पूरे प्रदेश में लागू कर संपत्ति की रजिस्ट्री होते ही तत्काल नामांतरण की व्यवस्था की। प्रदेश के द्रुत औद्योगिक विकास के लिए इंदौर से हटकर संभागीय स्तर पर औद्योगिक निवेश समिट आयोजित की। धार्मिक स्थलों को भी पर्यटन स्थलों के रूप में विकसित किया जाकर ‘‘आय’’ के स्त्रोत बढ़ाये जा रहे हैं।
मोटे अनाज के उत्पादन पर किसानों को 10 रू प्रति किलो प्रोत्साहन राशि दी गई। पुलिस ट्रेनिंग में ‘‘साइन लैंग्वेज’’ शुरू कर दिव्यांगों को नई आवाज देने वाला देश का पहला राज्य बना। भोपाल का बीआरटीएस कॉरिडोर खत्म करने का निर्णय, 52 साल पुराने वीआईपी कल्चर के नियम को समाप्त कर दिया, जहां सरकार मंत्रियों के ‘‘आयकर’’ भरती थी।
- Read Also : Treatment of Anemia : सिद्ध दवाएं 45 दिन में ठीक कर रही एनीमिया की बीमारी, स्टडी में दावा
संभवतः पहली बार किसी मुख्यमंत्री ने जिले का प्रभार अपने पास रखा है। मुख्यमंत्री ने प्रदेश के संभाग व जिलों की सीमाओं का पुनर्निर्धारण करने के लिए प्रशासनिक ईकाई पुर्नगठन आयोग का गठन करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है। शपथ ग्रहण करते ही शिवराज सिंह के निकट नौकरशाहों का स्थानांतरण प्रथम अवसर पर कर मोहन यादव ने अपने शासन की ‘‘दशा व दिशा’’ को इंगित कर दिया था।
अफसर शाही के ‘‘घोड़े’’ पर सवार ‘‘घुड़सवार’’ मोहन
पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश चंद सेठी और वीरेंद्र कुमार सकलेचा के काफी समय बाद शायद यह मौका आया है, जब अफसर शाही बेलगाम, निरंकुश न होकर उन पर जनप्रतिनिधि का संवैधानिक अंकुश कार्य रूप में परिणत होते दिख रहा है। शायद इसी का परिणाम है कि मुख्य सचिव की कुर्सी मुख्यमंत्री के बाजू से ‘‘हट’’ गई है। तथापि इस दिशा में आगे और कदम उठाने की आवश्यकता भी है।
नौकरशाह द्वारा अपने कार्यों के प्रति लापरवाही व घटनाओं के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के लिए मोहन यादव, शिवराज सिंह से ज्यादा ‘‘कड़क’’ व त्वरित निर्णय लेने वाले शासक सिद्ध हुए हैं। परिणाम स्वरूप गुना बस दुर्घटना जिसमें 13 लोग जिंदा जले थे, के लिए परिवहन आयुक्त, कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक को जिम्मेदार मानकर हटाया तथा आरटीओं, सीएमओं को निलम्बित किया।
गलतियां व कमियां शासन चलाने का अभिन्न व अविभाज्य अंग है
दिन-रात, सुख-दुख, अंधेरा-उजेला की तरह किसी भी शासन की उपलब्धियां के साथ कमियां व गलतियां भी होती ही हैं। शिवराज सिंह के जमाने में न्यूज चैनल की सुर्खियों में मध्य प्रदेश की अजब-गजब के रूप में प्रसिद्ध छवि को मोहन यादव पूरी तरह से तोड़ नहीं पाये, जहां एक मंत्री (रामनिवास रावत) को एक ही दिन में ‘‘दो बार’’ मंत्री पद की शपथ लेनी पड़ गई। हालांकि इसके लिए मोहन यादव कदापि जिम्मेदार नहीं थे।
विगत दिवस उज्जैन में हुई सार्वजनिक रूप से महिला की शील भंग की घटना निश्चित रूप से प्रदेश के लिए एक धब्बा है। इसी तरह एक वर्ष पूर्व इसी समय (6 सितम्बर 2023) उज्जैन में दिन दहाड़े सड़क के किनारे बलात्कार से पीड़ित महिला लोगों से सहायता की भीख मांग रही थी। परन्तु इन स्थितियों के लिए मोहन सरकार से ज्यादा वहां के नागरिक जिम्मेदार है, जहां हमारी नागरिक और मानवीय संवेदनाएं खत्म होती जा रही दिख रही हैं।
मोहन यादव की असफलता और कमजोरी इस रूप में भी दिख रही है कि वे न तो अभी तक मंत्रियों को उनकी इच्छा के अनुरूप स्टाफ उपलब्ध करा पाए और मानसून प्रारंभ होने के पहले जो स्थानांतरण नीति लागू होनी चाहिए थी, वह भी अभी तक नहीं बन पाई है।
आगे और काम करने की जरूरत है
मोहन सरकार को ‘‘मील का पत्थर’’ बनने के लिए अभी आगे बहुत से कदम उठाने होंगे। मध्य प्रदेश जिस पर पूर्व से ही लगभग 3ः82 लाख करोड रुपए से अधिक का कर्जा है, मोहन सरकार वित्तीय वर्ष 24-25 के लिए अभी तक का सबसे बड़ा कर्जा रू. 88450 करोड अतिरिक्त लेने जा रही है, जिसे कम करना मोहन सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती रहेगी?
महिलाओं के खिलाफ यौन शोषण के अपराधों के मामलों में मध्य प्रदेश का देश में शीर्ष में तीसरा स्थान है, जो चिंताजनक है। देश में लागू किए गए नए आपराधिक कानून के अंतर्गत महिलाओं, बच्चों के मामले की जांच महिला ऑफिसर ही कर सकती है, जिनकी संख्या प्रदेश में बहुत कम है। उनकी संख्या बढ़ाए जाने की तुरंत आवश्यकता हैै।
उपसंहार
अंत में 9 महीने के गर्भ के पूर्ण विकसित होने के बाद डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में आप अपने प्रदेश की एक अच्छे भविष्य की आशा निश्चित रूप से रख सकते हैं, क्योंकि कहा भी गया है। ‘‘पूत के पांव पालने में दिख जाते हैं’’। पूज्य पिताजी के ‘‘स्वर्गवासी’’ हो जाने के कारण डॉ. मोहन यादव ‘‘गहरे शोक’’ में है।
मृतात्मा को श्रद्धांजलि देते हुए मोहन के इस असीम दुख में मैं भी सहभागी होते हुए जिस प्रकार इस शोकाकुल अवस्था में भी ‘‘मुखिया’’ होने के दायित्व को मोहन निभा रहे है, उस दायित्व के उज्जवल भविष्य की कामना भी इन 9 महीने पूर्ण होने के अवसर पर करता हूँ।
देश दुनिया की खबरें अब हिंदी (Hindi News) में पढ़ें। ताजा खबरों के लिए जुड़े रहे updatenewsmp.com से। Trending खबरों (Latest Hindi News) और सरकारी योजनाओं (Sarkari Yojana) की जानकारी के लिए सर्च करें updatenewsmp.com