Collector’s Power : कलेक्टर हो तो ऐसे, किया कुछ ऐसा कि चुटकियों में देना पड़ा स्कूल को टीसी
Collector's Power : सरकारी अफसरों के पास बेहिसाब पॉवर होते हैं। इसके साथ ही यदि जरा भी संवेदनशीलता भी हो तो वे बड़े से बड़ा काम भी चुटकियों में करा सकते हैं। इसके विपरीत अधिकांश अफसर आम लोगों के छोटे-छोटे काम भी महज कागजी घोड़े दौड़ा कर लंबे समय तक लटकाए रखते हैं।
⇓ उत्तम मालवीय, बैतूल
Collector’s Power : सरकारी अफसरों के पास बेहिसाब पॉवर होते हैं। इसके साथ ही यदि जरा भी संवेदनशीलता भी हो तो वे बड़े से बड़ा काम भी चुटकियों में करा सकते हैं। इसके विपरीत अधिकांश अफसर आम लोगों के छोटे-छोटे काम भी महज कागजी घोड़े दौड़ा कर लंबे समय तक लटकाए रखते हैं।
मध्यप्रदेश के बैतूल जिले के वासियों के लिए यह अच्छी बात है कि फिलहाल उनके पास जनता की समस्याओं को संजीदगी से लेने वाले संवेदनशील कलेक्टर (DM) नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी हैं। उन्होंने मंगलवार को एक बार फिर अपनी संवेदनशीलता के साथ ही पॉवर भी दिखाया। जिससे एक परिवार की परेशानी चुटकियों में दूर हो गई।
हुआ यूं कि कलेक्टर श्री सूर्यवंशी जनसुनवाई कर रहे थे। इसी दौरान शाहपुर तहसील के मोतीढाना निवासी परमा ठाकुर ने आवेदन दिया कि शाहपुर तहसील में संचालित गुड शेफर्ड स्कूल द्वारा उनकी बेटी परी ठाकुर और पलक ठाकुर को टीसी नहीं दी जा रही है। पुत्री पलक कक्षा 8वीं एवं परी कक्षा 7 वीं में अध्ययनरत है।
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टालने के बजाय तुरंत एक्शन
आवेदन के माध्यम से बताया कि उनकी बेटियों का चयन मॉडल स्कूल में हुआ है। टीसी जमा करने के लिए काफी कम समय बचा है, उन्हें स्कूल प्रबंधक द्वारा सातवीं और आठवीं की टीसी नहीं दी जा रही है। यदि कलेक्टर चाहते तो वे भी जल्द कार्यवाही और विभागीय अफसरों से इस मसले को दिखवा लेने का आश्वासन देकर आवेदक को बिदा कर सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।
खुद की कार से भिजवाया
कलेक्टर श्री सूर्यवंशी ने इस शिकायत को पूरी गंभीरता से लिया और ऐसा कुछ कर डाला, जिसकी कल्पना भी शायद ही किसी ने की होगी। उन्होंने जनजातीय कार्य विभाग की सहायक आयुक्त के साथ अपनी कार से उन्हें सीधे 42 किलोमीटर दूर शाहपुर के गुड शेफर्ड स्कूल भिजवाया और तत्काल टीसी दिलवाने के निर्देश दिए।
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मिनटों में हल हुई समस्या
स्वयं कलेक्टर श्री सूर्यवंशी ने जब मामले में सीधा हस्तक्षेप किया तो स्कूल प्रबंधन को भी बिना कोई ना-नुकूर किए तुरंत परी और पलक ठाकुर को स्कूल से टीसी प्रदान करना पड़ा। इसके साथ ही उनकी बाकी फीस भी माफ करना पड़ा। कलेक्टर की संवेदनशीलता ने न केवल परिवार को परेशानी से मुक्ति मिली बल्कि बेटियों के उज्ज्वल भविष्य में भी कोई रूकावट नहीं आएगी।