funeral procession of bull : बैल की मौत पर शव यात्रा निकाली, खेत में किया दफन, धुआं कर जताया शोक
funeral procession of bull : भारत में पालतु पशुओं को केवल पशु भर नहीं माना जाता है। अधिकांश लोग उन्हें परिवार का सदस्य मानते हैं। खासकर, कृषक परिवारों में तो गाय, बैल, भैंसों को परिवार का अभिन्न अंग माना जाता है। इन परिवारों में 'नए सदस्य' के आने की जितनी खुशी होती है, उतना ही गम उनके जाने पर भी होता है।
funeral procession of bull : भारत में पालतु पशुओं को केवल पशु भर नहीं माना जाता है। अधिकांश लोग उन्हें परिवार का सदस्य मानते हैं। खासकर, कृषक परिवारों में तो गाय, बैल, भैंसों को परिवार का अभिन्न अंग माना जाता है। इन परिवारों में ‘नए सदस्य’ के आने की जितनी खुशी होती है, उतना ही गम उनके जाने पर भी होता है।
यही कारण है कि इन पालतु पशुओं की मृत्यु होने पर इनके विधि विधान से अंतिम संस्कार के उदाहरण अक्सर सामने आते रहते हैं। यही नहीं कुछ परिवार तो पालतू पशुओं की मौत होने पर अंतिम संस्कार के अलावा दसवां, तेरहवीं आदि क्रियाकर्म भी विधिवत करते हैं। मध्यप्रदेश के बैतूल जिले के मुलताई क्षेत्र में भी आज ऐसा ही उदाहरण देखने को मिला।
मुलताई क्षेत्र के ग्राम बिछुआ में एक बैल की मौत हो जाने पर परिवार गम में डूब गया है। परिवार जनों का कहना है कि पिछले 10 सालों से बैल उनके परिवार में सदस्य जैसा रहता था। उसके ही सहारे उनकी खेती-बाड़ी चलती थी। ऐसे में उसकी मौत पर सभी दुखी है।
अपने ही खेत में किया दफन
आज उसकी मौत पर परिवार वालों ने उसे पीतांबरी ओड़ा कर ट्रैक्टर के सहारे खेत में ले जाकर विधि विधान से दफन किया है। जिस तरह परिवार में किसी की मौत हो जाने पर घर के बाहर कंडे का धुआं किया जाता है, उसी तरह बैल की मौत हो जाने पर परिवार वालों ने घर के बाहर कंडों का धुआं कर ग्रामीणों को बताया कि उनके घर में किसी सदस्य की मौत हो गई है। नीचे देखें वीडियो…
सालों से था परिवार का सदस्य
बिछुआ निवासी सावन्या साहू के इस बैल की मौत बीमारी के चलाते हो गई। परिवार का सदस्य मानकर इस बैल को परिवार के सभी लोग नंदी कहते थे। वैसे तो यह बैल उनके परिवार में 20 सालों से है, लेकिन पिछले 10 सालों से नंदी के साथ इनका अलग ही रिश्ता बन गया था। विभिन्न शुभ अवसरों पर परिवार वाले नंदी को सजाकर बाजे गाजे के साथ पूरे गांव में भ्रमण कराते थे।
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इलाज का भी नहीं हुआ लाभ
कुछ दिनों से अचानक नंदी बीमार हो गया। परिवार वालों ने उसका हरसंभव उपचार भी कराया। लेकिन वह ठीक नहीं हुआ और उसकी मौत हो गई। जिसके बाद साहू परिवार ने नंदी को नारियल, पीतांबरी देकर श्रद्धांजलि दी। ट्रैक्टर के सहारे उसकी शव यात्रा खेत तक ले जाई गई। जहां खेत में गड्ढा खोदकर उसे खेत में ही दफना दिया गया है।