Great Teachers MP : इन शिक्षकों ने नवाचारों और समर्पण से बदल दी स्कूलों और शिक्षा व्यवस्था की तस्वीर
Great Teachers MP : यूं तो शिक्षक का पेशा भी अन्य विभागों की तरह केवल एक सरकारी नौकरी है। लेकिन, कई शिक्षक इसे केवल इसे नौकरी भर नहीं मानते। स्कूल जाकर निर्धारित समय तक रहने के बाद वापस हो जाना ही उनके लिए ड्यूटी नहीं होती बल्कि वे स्वयं को अपने स्कूल और बच्चों के लिए पूरी तरह समर्पित कर देते हैं।
Great Teachers MP : यूं तो शिक्षक का पेशा भी अन्य विभागों की तरह केवल एक सरकारी नौकरी है। लेकिन, कई शिक्षक इसे केवल इसे नौकरी भर नहीं मानते। स्कूल जाकर निर्धारित समय तक रहने के बाद वापस हो जाना ही उनके लिए ड्यूटी नहीं होती बल्कि वे स्वयं को अपने स्कूल और बच्चों के लिए पूरी तरह समर्पित कर देते हैं।
पढ़ाई-लिखाई को आसान बनाने जहां वे कई नवाचार करते हैं तो स्कूल का कायाकल्प करने खुद खर्च करने के अलावा जनसहयोग भी लेते हैं। यही कारण है कि ऐसे शिक्षकों और उनके स्कूलों की एक अलग पहचान बनती है। आज शिक्षक दिवस के मौके पर हम ऐसे ही कुछ ‘गुरूजनों’ की प्रेरणादायक कहानी प्रस्तुत कर रहे हैं।
साझा प्रयासों से ऐसे बदली सरकारी स्कूल की तस्वीर
लगभग 6 साल पहले तक गुमनाम रहे एक सरकारी स्कूल के सामने अब बड़े-बड़े सुविधा सम्पन्न निजी स्कूल भी फीके नजर आते हैं। इस स्कूल का कायाकल्प यहाँ के शिक्षक दिनेश चाकणकर और समाजसेवी श्रीमती अंजली गुप्ता बत्रा के साझा प्रयासों से हुआ है।
स्कूल के बच्चे स्मार्ट क्लास पढ़ाई करते हैं तो योगाभ्यास में भी निपुण हैं। नजदीक से गुजरने वाले लोगों को यह सरकारी स्कूल दूर से ही आकर्षित करता है। स्मार्ट क्लास के इंटरनेट का खर्च यहाँ के शिक्षक उठाते हैं। साझा प्रयासों से हुए विद्यालय के कायाकल्प ने समाज के सामने अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया है।
यहाँ बात हो रही है ग्वालियर शहर की खल्लासीपुरा शिंदे की छावनी बस्ती में संचालित छोटे से शासकीय प्राथमिक विद्यालय मोतीमहल की। विद्यालय के शिक्षक दिनेश चाकणकर जिन पर जिला योग प्रभारी का दायित्व भी है, वे बताते हैं कि पहले ये स्कूल केवल एक छोटे से कमरे में संचालित होता था।
वर्ष 2017-18 में यहाँ पदस्थ होने के बाद दिनेश चाकणकर ने समाजसेवी अंजली गुप्ता के साथ स्कूल के कायाकल्प का बीड़ा उठाया। पहले इन्होंने व्यक्तिगत तौर पर स्कूल में सुविधाएँ जुटाने का काम किया। जब स्कूल की ख्याति बढ़ी तो ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर सहित शहर के अन्य समाजसेवी भी स्कूल के विकास में सहयोग के लिये आगे आ गए।
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मंत्री श्री तोमर भी आगे आए
शिक्षकों व बच्चों की लगन देखकर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने राज्य शासन की योजनाओं के तहत इस स्कूल में एक अतिरिक्त कक्ष, सामूहिक कार्यक्रमों के लिये बड़ा हॉल व बालिकाओं के लिए अलग से शौचालय का निर्माण करवाया है। साथ ही पूरे भवन की रंगाई-पुताई भी करा दी है।
समाजसेवियों ने बनवाई स्मार्ट क्लास
समाजसेवी श्रीमती अंजली गुप्ता की पहल पर शहर के एक समाजसेवी ने अपने जन्म दिन पर इस स्कूल में स्मार्ट कक्ष तैयार करने में आर्थिक मदद दी। साझा प्रयासों से स्कूल में फर्नीचर और स्मार्ट क्लास के जरूरी उपकरण भी जुटा लिए गए। श्रीमती बत्रा ने इस विद्यालय में एक पुस्तकालय और बच्चों के रचनात्मक कार्य प्रदर्शित करने के लिये डिस्प्ले दीवार भी बनवाई है।
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योगाभ्यास बच्चों की दिनचर्या में शामिल
यह सरकारी स्कूल जिले के अन्य स्कूलों के लिये उदाहरण बन गया है। यहाँ अध्ययनरत बच्चे प्रतिदिन प्राणायाम करते हैं और सभी बच्चे योग के विभिन्न आसन लगाने में निपुण हैं। विद्यालय में मनोरंजन तरीके से प्रतिदिन बच्चे योगाभ्यास करते हैं। स्कूल की कक्षाएँ शुरू होने से पहले हर दिन प्रार्थना होती है और सभी बच्चे एक साथ बैठकर भोजन मंत्र का गायन करने के बाद भोजन ग्रहण करते हैं।
हर दिन होता है मोटीवेशनल प्रोग्राम
शिक्षक श्री चाकणकर बताते हैं कि लगभग 6 वर्ष पहले जब स्कूल की कायाकल्प के लिये कदम आगे बढ़ाए तब सबसे पहले बच्चों की रूचि योगाभ्यास व खेलों के प्रति जगाई। इससे बच्चों में एकाग्रता बढ़ी और वे मन लगाकर पढ़ाई करने लगे। स्कूल में बड़ी एलईडी स्क्रीन लगी है, इस पर प्रतिदिन मोटीवेशनल प्रोग्राम के लिये भी समय तय है। बच्चों को हर दिन एक महापुरूष के जीवन परिचय से परिचित कराया जाता है। इंटरनेट का खर्च शिक्षक स्वयं वहन करते हैं।
सपनों को रौशनी देने वाली शिक्षिका श्रीमती प्रेमलता राहंगडाले की प्रेरणादायक यात्रा
भोपाल के शासकीय संभागीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान आईटीआई गोविंदपुरा की प्रशिक्षण अधिकारी श्रीमती प्रेमलता राहंगडाले का नाम आज उन शिक्षकों में शुमार है जो न केवल शिक्षा देने का कार्य करते हैं, बल्कि अपने विद्यार्थियों के जीवन को नई दिशा भी देते हैं। दृष्टि बाधित विद्यार्थियों के लिए उनका समर्पण, उनकी अटूट मेहनत और दृढ़ विश्वास ने उन्हें राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार के लिए चयनित होने का गौरव प्रदान किया है।
ग्यारह साल पहले शुरू हुई शिक्षण यात्रा
श्रीमती राहंगडाले ने बताया कि उनकी शिक्षण यात्रा की शुरुआत 11 साल पहले हुई थी। उनका एक ही सपना था, बच्चों के भीतर छुपी हुई क्षमता को निखारना और उन्हें जीवन की कठिनाइयों के सामने मजबूती से खड़े रहने के लिए तैयार करना। वे कहती है जब मैंने इस सफर की शुरुआत की थी, तो मेरा उद्देश्य था कि इन बच्चों के जीवन के अंधकार को शिक्षा की रोशनी से दूर कर सकूं।
शिक्षण तक ही सीमित नहीं दृष्टिकोण
श्रीमती राहंगडाले का दृष्टिकोण केवल शिक्षण तक सीमित नहीं है। वे अपने विद्यार्थियों के समग्र विकास पर जोर देती हैं, जिससे वे जीवन के हर क्षेत्र में अपनी पहचान बना सकें। वे कहती हैं मेरा उद्देश्य है कि विद्यार्थियों को आत्मविश्वास, साक्षरता और व्यक्तित्व विकास के माध्यम से एक ऐसे मुकाम तक पहुँचाना, जहां वे समाज में अपना योगदान दे सकें।
कमजोर परिवारों के बच्चों को करती हैं प्रोत्साहित
ग्रामीण और आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों से आने वाले विद्यार्थियों के लिए, श्रीमती राहंगडाले एक मार्गदर्शक बनकर उभरी हैं। वे न केवल उन्हें शिक्षा देती हैं, बल्कि उन्हें जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार भी करती हैं। वे कहती हैं, मुझे अपनी शिक्षण यात्रा के दौरान यह अनुभव हुआ कि अगर इन बच्चों को सही दिशा दी जाए, तो वे भी सफलता प्राप्त कर सकते हैं, जैसे कोई सामान्य विद्यार्थी करता है।
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विद्यार्थियों के प्रति समर्पण से मिला पुरस्कार
श्रीमती राहंगडाले मानती है कि उन्हें मिला राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार विद्यार्थियों के प्रति समर्पण का ही परिणाम है। यह पुरस्कार न केवल उनके व्यवसायिक प्रशिक्षण और उद्यमिता विकास में उत्कृष्टता को मान्यता देता है, बल्कि उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण का भी प्रतीक है।
शिक्षक: भावी पीढ़ी के जीवन को संवारने का माध्यम
श्रीमती प्रेमलता राहंगडाले की यह प्रेरणादायक यात्रा उन सभी शिक्षकों के लिए एक मिसाल है, जो शिक्षा को सिर्फ एक पेशा नहीं, बल्कि भावी पीढ़ी के जीवन को संवारने का माध्यम मानते हैं। उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि सही मार्गदर्शन और निस्वार्थ सेवा से किसी के भी जीवन में रोशनी भरी जा सकती है, चाहे वह कितनी भी कठिनाइयों में क्यों न हो।
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शिक्षिका कल्पना की पहल पर अब स्कूल आते हैं 100 प्रतिशत बच्चे
शिक्षिका कल्पना मुखरैया ने अपनी कार्यशैली से छतरपुर जिले में ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश में एक नई मिसाल कायम की है। नौगाँव विकासखण्ड अलीपुरा जनशिक्षा केन्द्र की प्राथमिक शाला करारगंज की शिक्षिका कल्पना ने अपनी रुचि से स्कूल को निजी खर्चे से बाल पेंटिंग सहित बच्चों, शिक्षा की देखरेख, स्कूल आने-जाने का समय, अविभावकों से तालमेल, साफ-सफाई, संगीत में रूचि पर कार्य कर बच्चों को शिक्षा के प्रति भी लगनशील बनाया।
इसके परिणाम स्वरूप अब शत-प्रतिशत बच्चे स्कूल आते हैं एवं समूचे नौगांव विकासखंड में शासकीय प्राथमिक कन्या शाला करारा गंज स्मार्ट स्कूल के रूप में पहचाना जाता है।
स्कूल को घर और बच्चों को बनाया परिवार
शिक्षिका कल्पना मुखरैया ने बताया कि मेरे पिता गौरीशंकर मुखरैया भी शिक्षक थे, मैं उन्ही की प्रेरणा पथ पर चलकर अपने स्कूल और बच्चों के प्रति एक नई सोच के साथ कुछ अलग करने जैसे रचनात्मक कार्य, नए-नए नवाचार कर सर्वप्रथम स्कूल और बच्चों को अपने घर परिवार की तरह संभालना शुरू किया।
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विकासखंड से भोपाल तक किया प्रतिनिधित्व
कोविड काल के दौरान वर्ष 2020 में उनके द्वारा लिखी गई कहानियों को राज्य शिक्षा केंद्र ने चयनित किया। उसके बाद 2021 में टीएलएम की कार्यशालाओं में हिस्सा लेकर प्रतिनिधित्व किया। वर्ष 2023 में डी.आर.जी. बनकर भोपाल से प्रशिक्षण प्राप्त कर ब्लॉक स्तर पर शिक्षकों को प्रशिक्षित किया।
12 सितंबर 2023 को भोपाल में आयोजित जी-20 में छतरपुर जिले का प्रतिनिधित्व किया। साथ ही कल्पना द्वारा लिखी गई कविता को राज्य शिक्षा केन्द्र और रूम-टू-रीड के माध्यम से प्रकाशित कर प्रदेश के शासकीय विद्यालय में उपलब्ध कराई गई। शिक्षिका कल्पना को जून 2023 में गिजू भाई शिक्षक सम्मान से भी सम्मानित किया गया।
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शिक्षक निर्मल राठौर ने सरकारी स्कूल को बनाया चॉकलेस
नीमच जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर स्थित शासकीय माध्यमिक विद्यालय ग्राम थड़ोली के शिक्षक निर्मल राठौर ने स्कूल में अनेक नवाचार कर जिले में ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में एक अनूठी पहचान बनाई है। यह एक ऐसा स्कूल है जो कि वर्तमान में चाकलेस हो गया है। स्कूल की सभी कक्षाएँ स्मार्ट बोर्ड की सहायता से संचालित होती है।
पालकों को भी भेजी जाती है गतिविधियां
शाला में सभी शिक्षक स्मार्ट बोर्ड, यू-ट्यूब और आईसीटी का बहुतायत से उपयोग कर पढाते हैं। साथ ही शाला में होने वाली गतिविधियों को यू-ट्यूब पर डालकर पालकों को भेजते है। यहाँ कई और भी नवाचार किये गए हैं, जिसमें शाला को भयमुक्त बनाने के लिए शाला को बेहतर पेंट से रंगा गया है और एक आकर्षक गार्डन भी बनाया गया है।
गॉर्डन ऐसा कि सामान्य ज्ञान करा देता अपडेट
गार्डन में बच्चों को सामान्य ज्ञान याद कराने के लिए पौधों पर संवैधानिक पदों पर आसीन व्यक्तियों और अधिकारियों के नाम लिखवाए गए हैं। जिन्हें बच्चे रोज पढ़कर अपने आप याद कर लेते है। इसी क्रम में शाला में एक ऐसा पुस्तकालय बनाया गया है, जिसकी प्रशंसा जिले और भोपाल के अधिकारियों ने की है।
शाला का स्वयं का है स्कूल बैंड
शाला का स्वयं का एक स्कूल बैंड भी है जिसे शिक्षक द्वारा प्रशिक्षित किया गया। अब बच्चों द्वारा इसे संचालित किया जा रहा है। शाला ड्रेस कोड भी बहुत सुंदर और आकर्षक बनाई गई। इस शाला में हाउस कांसेप्ट भी है अर्थात हाउस ड्रेस, हाउस एक्टिविटी। सभी बच्चों के पास डिजिटल आई कार्ड उपलब्ध है।
निजी स्कूलों की तर्ज पर होमवर्क डायरी
शाला में होमवर्क डायरी का पैटर्न भी है, जिसकी व्यवस्था जन-सहयोग से की गई है। थडोली की शाला से प्रेरित होकर संकुल और विकासखण्ड के कई स्कूलों ने इन नवाचारों को अपनाया है। राज्य सरकार द्वारा शिक्षण सत्र 2021 में शिक्षक निर्मल राठौर को राज्यपाल अवार्ड से सम्मानित भी किया गया।
बालाघाट के देवटोला में मिट्टी के घर मे ज्ञान का गुरुकुल बिल्कुल बिना रुपये पैसों के शिक्षा का बड़ा केंद्र।@CMMadhyaPradesh @JansamparkMP @jbpcommissioner@schooledump @highereduminmp pic.twitter.com/Jo2cVbe512
— Collector Balaghat (@collectorbalagh) September 4, 2024
जनकपुर के शिक्षक घीसालाल धनगर के प्रयासों से संवर रहा है विद्यार्थियों का भविष्य
शिक्षक घीसालाल धनगर विगत 26 वर्षों से नीमच जिले के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय जनकपुर मोरवन में कार्यरत है। उन्होंने अध्यापन के साथ ही छात्र-छात्राओं को विभिन्न गतिविधियों में मार्गदर्शन देकर उन्हें आगे बढ़ाने में बहुत ही सहरानीय प्रयास किया है।
8 विद्यार्थी पहुंचे राष्ट्रीय स्तर पर
शिक्षक श्री धनगर विज्ञान विषय के शिक्षक हैं। उनके मार्गदर्शन में विद्यालय के 8 छात्र-छात्राओं ने राष्ट्रीय स्तर पर विज्ञान प्रतियोगिताओं में भाग लेकर विद्यालय का गौरव बढ़ाया है। विद्यालय के छात्र धर्मेंद्र पाटीदार ने तत्कालीन राष्ट्रपति महामहिम डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम आजाद के हाथों राष्ट्रीय इनोवेशन पुरस्कार प्राप्त किया है।
स्कूल को मिला पर्यावरण मित्र पुरस्कार
शिक्षक श्री धनगर ने विद्यालय परिसर में सघन पौध-रोपण का सराहनीय कार्य भी किया है। पौध-रोपण एवं पर्यावरण गतिविधियों में उत्कृष्ट कार्य करने पर विद्यालय को वर्ष 2014 में राज्य स्तरीय पर्यावरण मित्र पुरस्कार का सम्मान प्राप्त हुआ था।
अभिभावकों-पालकों से सतत सम्पर्क
शिक्षक श्री धनगर केवल विद्यालय तक की अध्यापन का कार्य नहीं करवाते बल्कि छात्र-छात्राओं के पालकों को फोन लगाकर, बच्चों की पढ़ाई के बारे में पूछते हैं और टाइम टेबल के अनुसार अध्यापन करने छात्र-छात्राओं को प्रोत्साहित करते हैं। इससे छात्र-छात्राएं पूरी लगन से पढ़ाई कर अच्छे अंकों से उत्तीर्ण होते हैं। विगत कई वर्षों से शिक्षक श्री धनगर का विज्ञान विषय का परीक्षा परिणाम 100 प्रतिशत रहा है।