horticulture farming : धान छोड़ अपनाई उद्यानिकी खेती, अब खेल रहे लाखों में

horticulture farming : मध्यप्रदेश में राज्य सरकार की किसान हितैषी योजनाओं से किसानों के जीवन में बदलाव देखने को मिल रहे हैं। अब किसान परंपरागत खेती के साथ-साथ उद्यानिकी खेती की ओर भी तेजी से बढ़ रहे है। कल्याणकारी योजनाओं से प्रदेश में उद्यानिकी फसलों का भी रकबा बढ़ा है।

horticulture farming : धान छोड़ अपनाई उद्यानिकी खेती, अब खेल रहे लाखों में

horticulture farming : मध्यप्रदेश में राज्य सरकार की किसान हितैषी योजनाओं से किसानों के जीवन में बदलाव देखने को मिल रहे हैं। अब किसान परंपरागत खेती के साथ-साथ उद्यानिकी खेती की ओर भी तेजी से बढ़ रहे है। कल्याणकारी योजनाओं से प्रदेश में उद्यानिकी फसलों का भी रकबा बढ़ा है।

इसी तरह का बदलाव ग्वालियर जिले के भितरवार विकासखंड के ग्राम गोहिंदा के रहने वाले प्रगतिशील किसान संजीव के जीवन में भी आया है। संजीव पहले धान की पारंपरिक खेती किया करते थे। जी-तोड़ मेहनत के बाद भी उन्हें अपनी खेती से उतनी आमदनी नहीं हो पाती थी, जितनी वे उम्मीद रखते थे।

ऊपर से यदि मानसून धोखा दे जाए तो फसल उत्पादन और घट जाता था। संजीव ने फसल में बदलाव क्या किया कि उनकी जिंदगी ही बदल गई। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना ने संजीव के जीवन में सुखद बदलाव लाने में अहम भूमिका निभाई है।

धान की फसल से नहीं बढ़ पाई आमदनी

किसान संजीव बताते हैं कि धान की फसल में लागत ज्यादा और आमदनी कम होती थी। जब तमाम प्रयासों के बाबजूद आशा के अनुरूप आमदनी नहीं बढ़ी तब उन्होंने उद्यानिकी फसल की और कदम बढ़ाए। इसके लिए उन्होंने उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों से तकनीकी मदद ली।

पीएम कृषि सिंचाई योजना का लिया लाभ

उनकी सलाह पर संजीव ने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत ड्रिप विथ मल्चिंग पद्धति से बैगन उत्पादन शुरू किया। इस पर लगभग एक लाख 55 हजार रूपए की लागत आई, जिसमें प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत 70 हजार रूपए का अनुदान भी प्राप्त हुआ। अब मात्र एक हेक्टेयर रकबे में ड्रिप विथ मल्चिंग पद्धति से बैंगन की खेती करने पर लागत निकालकर 5 लाख रूपए की शुद्ध आमदनी हो रही है।

लागत भी निकालने में हो रही थी मुश्किल

किसान संजीव बताते हैं कि जब हम अपने एक हेक्टेयर के खेत में धान उगाते थे तब एक लाख रूपए की लागत आती थी और हमें लगभग एक लाख 92 हजार रूपए की आय होती थी। इसमें अगर हम अपनी मेहनत जोड़ लें तो आमदनी न के बराबर ही हो पाती थी। अब हमने उद्यानिकी विभाग की मदद ली।

एक हेक्टेयर में अब 5 लाख की हो रही आय

संजीव बताते हैं कि धान का उत्पादन 55 क्विंटल प्रति हेक्टेयर था वहीं बैंगन का उत्पादन 700 क्विंटल प्रति हैक्टेयर हो रहा है। ड्रिप विथ मल्चिंग पद्धति से बैंगन उत्पादन में 2 लाख रूपए प्रति हेक्टेयर का खर्चा आता है और 7 लाख रूपए की आय होती है। इस प्रकार हमें 5 लाख रूपए की आमदनी एक हेक्टेयर रकबे से होने लगी है।

Uttam Malviya

उत्तम मालवीय : मैं इस न्यूज वेबसाइट का ऑनर और एडिटर हूं। वर्ष 2001 से पत्रकारिता में सक्रिय हूं। सागर यूनिवर्सिटी से एमजेसी (मास्टर ऑफ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री प्राप्त की है। नवभारत भोपाल से अपने करियर की शुरुआत करने के बाद दैनिक जागरण भोपाल, राज एक्सप्रेस भोपाल, नईदुनिया और जागरण समूह के समाचार पत्र 'नवदुनिया' भोपाल में वर्षों तक सेवाएं दी। अब इस न्यूज वेबसाइट का संचालन कर रहा हूं। मुझे उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए प्रतिष्ठित सरोजिनी नायडू पुरस्कार प्राप्त करने का सौभाग्य भी नवदुनिया समाचार पत्र में कार्यरत रहते हुए प्राप्त हो चुका है।

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