IAS Pooja Khedkar : प्रशिक्षु आईएएस पूजा खेडकर की गई नौकरी, यूपीएससी का सख्त फैसला
IAS Pooja Khedkar : संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने प्रशिक्षु आईएएस ऑफिसर पूजा खेडकर को नौकरी से हटा दिया है। वे वर्तमान में ट्रेनी आईएएस के रूप में महाराष्ट्र में पदस्थ थी। अपनी पहली पोस्टिंग में ही उन्होंने जिला प्रशासन के समक्ष अजीब डिमांड रखना शुरू कर दिया था। विवाद बढ़ने पर उनका तबादला पुणे से वाशिम कर दिया था। फर्जी दस्तावेजों से नौकरी पाने के मामले में यूपीएससी ने यह सख्त कदम उठाया है।
IAS Pooja Khedkar : संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने प्रशिक्षु आईएएस ऑफिसर पूजा खेडकर को नौकरी से हटा दिया है। वे वर्तमान में ट्रेनी आईएएस के रूप में महाराष्ट्र में पदस्थ थी। अपनी पहली पोस्टिंग में ही उन्होंने जिला प्रशासन के समक्ष अजीब डिमांड रखना शुरू कर दिया था। विवाद बढ़ने पर उनका तबादला पुणे से वाशिम कर दिया था। फर्जी दस्तावेजों से नौकरी पाने के मामले में यूपीएससी ने यह सख्त कदम उठाया है।
गौरतलब है कि पूजा खेडकर ने ओबीसी के नॉन क्रीमीलेयर आरक्षण को हासिल करने के लिए गलत दस्तावेज दिए थे। उन्होंने स्वयं के अलावा माता-पिता का नाम भी बदल दिया था। ऐसा करके ना केवल ओबीसी आरक्षण हासिल किया, बल्कि यूपीएसपी परीक्षा में बैठने का अतिरिक्त मौका भी मिला। इस मामले के सामने आने के बाद यूपीएससी ने उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई थी।
इस बारे में यूपीएससी ने जारी बयान में बताया कि 18 जुलाई, 2024 को सिविल सेवा परीक्षा-2022 (सीएसई-2022) की अनंतिम रूप से अनुशंसित उम्मीदवार पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर को कारण बताओ नोटिस (SCN) जारी किया था। इस नोटिस में अपनी पहचान को गलत तरीके से पेश करके परीक्षा नियमों में निर्धारित प्रदत्त सीमा से अधिक प्रयास करने के लिए उन्हें 25 जुलाई, 2024 तक एससीएन में अपना जवाब प्रस्तुत करना था। हालांकि, उन्होंने 04 अगस्त, 2024 तक का अतिरिक्त समय मांगा था, ताकि वह अपने जवाब के लिए आवश्यक दस्तावेज एकत्र कर सकें।
एक बार दिया जा चुका था समय
यूपीएससी ने पूजा खेडकर के अनुरोध पर सावधानीपूर्वक विचार किया और न्याय के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए, उन्हें 30 जुलाई, 2024 को दोपहर 3.30 बजे तक का समय दिया गया, ताकि वे एससीएन में अपना जवाब प्रस्तुत कर सकें। उन्हें यह भी स्पष्ट रूप से बता दिया गया कि यह उनके लिए अंतिम अवसर है और इससे आगे उन्हें कोई अतिरिक्त समय नहीं दिया जाएगा।
नहीं दे पाई शोकॉज नोटिस का जवाब
उन्हें स्पष्ट शब्दों में यह भी बताया गया कि यदि उपरोक्त तिथि/समय तक कोई जवाब नहीं मिलता है, तो यूपीएससी उनसे कोई और संदर्भ लिए बिना आगे की कार्रवाई करेगा। उन्हें दिए गए अतिरिक्त समय के बावजूद, वह निर्धारित समय के भीतर अपना स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने में विफल रहीं।
आगामी परीक्षाओं से भी किया वंचित
यूपीएससी ने उपलब्ध अभिलेखों की सावधानीपूर्वक जांच की है और उसे सीएसई-2022 नियमों के प्रावधानों का उल्लंघन करने का दोषी पाया। सीएसई-2022 के लिए उसकी अनंतिम उम्मीदवारी रद्द कर दी गई है और उन्हें यूपीएससी की सभी आगामी परीक्षाओं/चयनों से स्थायी रूप से वंचित कर दिया गया है।
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पंद्रह हजार उम्मीदवारों की जांच
पूजा खेडकर के मामले को देखते हुए, यूपीएससी ने वर्ष 2009 से 2023 यानि 15 वर्षों के सीएसई के 15,000 से अधिक अंतिम रूप से अनुशंसित उम्मीदवारों के उपलब्ध अभिलेखों की उनके द्वारा प्राप्त प्रयासों की संख्या के संबंध में गहन जांच की। इस विस्तृत जांच के बाद, पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर के मामले को छोड़कर, किसी अन्य उम्मीदवार को सीएसई नियमों के तहत प्रदत्त संख्या से अधिक प्रयासों का लाभ उठाते हुए नहीं पाया गया है।
खुद का और माता-पिता का नाम बदला
पूजा खेडकर के एकमात्र मामले में, यूपीएससी की मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) मुख्य रूप से इस तथ्य के कारण उसके प्रयासों की संख्या का पता नहीं लगा सकी क्योंकि उन्होंने न केवल अपना नाम बल्कि अपने माता-पिता का नाम भी बदल लिया था। यूपीएससी एसओपी को और सशक्त करने की प्रक्रिया में है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भविष्य में ऐसा मामला दोबारा ना आ सके।
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इनकी केवल प्रारंभिक जांच होती है
जहां तक झूठे प्रमाणपत्र (विशेष रूप से ओबीसी और पीडब्ल्यूबीडी श्रेणियों) जमा करने की शिकायतों का सवाल है, यूपीएससी यह स्पष्ट करना चाहता है कि वह प्रमाण पत्रों की केवल प्रारंभिक जांच करता है, जैसे कि प्रमाण पत्र सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी किया गया है या नहीं, प्रमाण पत्र किस वर्ष से संबंधित है, प्रमाण पत्र जारी करने की तिथि, प्रमाण पत्र पर कोई ओवरराइटिंग है या नहीं, प्रमाण पत्र का प्रारूप आदि।
आम तौर पर, यदि प्रमाणपत्र सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी किया गया है, तो उसे असली माना जाता है। यूपीएससी के पास हर साल उम्मीदवारों द्वारा जमा किए गए हजारों प्रमाणपत्रों की सत्यता की जांच करने का न तो अधिदेश है और न ही साधन। हालांकि, यह समझा जाता है कि प्रमाण पत्रों की सत्यता की जांच और सत्यापन का कार्य कार्य सौंपे गए अधिकारियों द्वारा किया गया है।