एमपी के इन खूबसूरत स्थानों की नहीं की सैर तो फिर क्या घूमे
हिंदुस्तान का दिल मध्यप्रदेश पर्यटन के शौकीनों के लिए अनेक सौगात पेश करता है। वीरता की गाथा सुनाते किलों से लेकर, भक्ति से सराबोर मंदिरों और वन्यजीवन से भरपूर राष्ट्रीय उद्यान तक, प्रदेश में ऐसे कई आकर्षण हैं जो पर्यटकों को मन मोह लेते हैं।
हिंदुस्तान का दिल मध्यप्रदेश पर्यटन के शौकीनों के लिए अनेक सौगात पेश करता है। वीरता की गाथा सुनाते किलों से लेकर, भक्ति से सराबोर मंदिरों और वन्यजीवन से भरपूर राष्ट्रीय उद्यान तक, प्रदेश में ऐसे कई आकर्षण हैं जो पर्यटकों को मन मोह लेते हैं।
मध्यप्रदेश में मौजूद ऑफबीट डेस्टिनेशन भी अब देशभर के पर्यटकों को लुभा रहे हैं। मध्यप्रदेश पर्यटन इन गंतव्यों को प्रचारित करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। तो आइए, प्रदेश के कुछ ऐसे ही ऑफबीट डेस्टिनेशन्स को करीब से जानते हैं।
ग्वालियर: कलात्मक भव्यता
यहां आप ग्वालियर के किले की भव्यता का आनंद उठा सकते हैं, एक विशाल किला जो कई सालों से शहर की रक्षा करता आया है और आज भी अपनी दीवारों को महान कहानियों को समेटे हुए खड़ा है। इस किले के गर्भ में कई ऐतिहासिक और स्थापत्य कथाएं छिपी हैं।
यहां आप जटिल नक्काशीदार मान सिंह महल, भव्य करण महल, विक्रम महल, अलौकिक जहांगीर महल, सास बहु मंदिर, और तेली का मंदिर सहित कई महलों का अनूठा अनुभव पा सकते हैं। इसी तरह 18वीं सदी का पदावली किला दर्शकों का मन मोह लेता है। वहीं 100 सीढ़ियां चढ़कर आप चौसठ योगिनी मंदिर जा सकते हैं, जो हरी-भरी पहाड़ियों के बीच बना एक गोलाकार भवन है।
ग्वालियर के किले में मौजूद संग्रहालय मूर्तियों, सिक्कों और हथियारों के माध्यम से शहर की कलात्मक विरासत को मूर्त रूप देता प्रतीत होता है। यहां आप अद्भुत गरूड़ प्रतिमा, ‘भारत की मोनालिसाÓ- सलाभंजिका, सास बहु मंदिर और सिद्धांचल को काट कर बनाई गई प्रतिमा का यादगार अनुभव पा सकते हैं।
⇒ कैसे पहुंचे
उड़ान: राजा भोज इंटरनेशनल एयरपोर्ट
रेल: ग्वालियर जंक्शन रेलवे स्टेशन
सड़क: ग्वालियर सड़क से अच्छी तरह कनेक्टेड है
कूनो नेशनल पार्क: चीतों का घर
श्योपुर जिले में स्थित, एक उभरता हुआ पर्यटन स्थल है। यह राष्ट्रीय उद्यान अपने समृद्ध वन्यजीवन और प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। इसे बाघ, तेंदुआ, चिंकारा और कई अन्य वन्य प्राणियों के साथ, कूनो को चीता पुनर्वास परियोजना के लिए भी जाना जाता है, जिससे यह पर्यटकों के बीच और भी लोकप्रिय हो गया है।
कूनो नदी की सुंदरता, जंगल सफारी और पक्षी देखने के अवसर इसे प्रकृति प्रेमियों और वन्यजीव उत्साही लोगों के लिए एक आकर्षक गंतव्य बनाते हैं। प्राकृतिक वातावरण में शांति और रोमांच का अनूठा मिश्रण यहां की विशेषता है। मध्यप्रदेश पर्यटन द्वारा इसे प्रमुख गंतव्य के रूप में विकसित किया जा रहा है।
पर्यटकों की सुविधा के लिए कूनो फॉरेस्ट रिट्रीट एक आलीशान और आरामदायक ऑल सीजन टेंट सिटी अब प्रमुख आकर्षण है। यहां पर्यटक स्थानीय व्यंजनों का लुत्फ उठाने के साथ रोमांचक साहसिक गतिविधियों और ट्रेल का आनंद ले सकते है।
⇒ कैसे पहुंचे
सड़क: ग्वालियर सड़क से अच्छी तरह कनेक्टेड है
शिवपुरी: जादुई पल
यहां के सुरवाया किले का अतीत रहस्यमयी है, जो जर्जर दीवारों और मंदिरों के अवशेषों को अपने आप में समेटे हुए है। माधव नेशनल पार्क में इकोलोजी का प्रत्यक्ष अनुभव पा सकते हैं वहीं जॉर्ज कैसल के औपनिवेशिक आकर्षण की ओर खिंचे चले आएंगे। बधैया कुंड की शांति और नरवर किले की भव्यता को आप कभी भुला नहीं पाएंगे।
⇒ कैसे पहुंचे
रेल: शिवपुरी रेलवे स्टेशन
सड़क: शिवपुरी, ग्वालियर से 110 किलोमीटर की दूरी पर है
ओरछा: विरासत के रंग
जीवंत भित्ती चित्रों से सुसज्जित राजा महल की भव्यता में खो जाएं। लक्ष्मी नारायण मंदिर में भगवान का आर्शीवाद पाएं, जिसे अपनी जटिल नक्काशी के लिए जाना जाता है। यहां आपको बुंदेला राजाओं और उनके परिवारों की याद में बने स्मारक और छतरियां देखने को मिलेंगी। इंडो-इस्लामिक वास्तुकला का संयोजन जहांगीर महल अपनी फिरोज़ी टाइलों, जटिल नक्काशी और शानदार बालकनियों के साथ आपको मंत्रमुग्ध कर देगा।
राम राजा मंदिर, एक मात्र मंदिर है, जहां भगवान राम की पूजा एक राजा के रूप में की जाती है। बेतवा नदी के किनारे, ओरछा पक्षी अभ्यारण में आप पक्षियों के संगीत में खो जाएंगे और कलात्मक रूप से बुनी छतरियों को कभी भुला नहीं पाएंगे।
⇒ कैसे पहुंचे
रेल: झांसी जंक्शन रेलवे स्टेशन, ओरछा से 85 किलोमीटर की दूरी पर है
सड़क: ओरछा ग्वालियर से 170 किलोमीटर और शिवपुरी से 115 किलोमीटर की दूरी पर है।
दतिया: आध्यात्मिक अभ्यारण्य
पीताम्बरा पीठ मंदिर में बगलामुखी देवी का आर्शीवाद लें, जिसे अपनी भव्य वास्तुकला और आध्यात्मिक अनुभव के लिए जाना जाता है।
⇒ कैसे पहुंचे
रेल: दतिया रेलवे स्टेशन
सड़क: दतिया ग्वालियर से 70 किलोमीटर और ओरछा से 47 किलोमीटर की दूरी पर है।
मुरैना: घड़ियाल और डोल्फिन
राष्ट्रीय चम्बल अभ्यारण्य वन्यजीवन प्रेमियों के लिए आकर्षक स्थल है। गंभीर लुप्तप्राय घड़ियाल, लाल मुकुट वाला कछुआ, और गंगा नदी की डोल्फिन इस स्थान की प्रकृतिक खूबसूरती को कई गुना बढ़ा देते हैं। पास ही मौजूद बटेश्वर मंदिर समूह को विरासत का खजाना कहा जा सकता है।
⇒ कैसे पहुंचे
रेल: मुरैना रेलवे स्टेशन
सड़क: मुरैना दतिया से 128 किलोमीटर और ग्वालियर से 39 किलोमीटर की दूरी पर है।