Mani Kailash Parvat : हिमाचल के प्रसिद्ध मणि कैलाश पर्वत में तप कर रहे बैतूल के पंकज मुनि
Mani Kailash Parvat : कहा जाता है कि त्यागी, तपस्वी और संसार से विरक्त साधु संतों की कठोर तपस्या और भक्ति का ही प्रभाव हैं कि आज हमारे सनातन धर्म का संतुलन बना हुआ है। बिकट परिस्थिति में अगर कोई त्यागी संत अगर तपस्या में लीन दिखलाई देते हैं तो ऐसा लगता है मानो प्रकृति ने अपना वास्तविक रूप दिखला दिया है।
⇓ मनोहर अग्रवाल, खेड़ी सांवलीगढ़
Mani Kailash Parvat : कहा जाता है कि त्यागी, तपस्वी और संसार से विरक्त साधु संतों की कठोर तपस्या और भक्ति का ही प्रभाव हैं कि आज हमारे सनातन धर्म का संतुलन बना हुआ है। बिकट परिस्थिति में अगर कोई त्यागी संत अगर तपस्या में लीन दिखलाई देते हैं तो ऐसा लगता है मानो प्रकृति ने अपना वास्तविक रूप दिखला दिया है।
वह इसलिए क्योंकि प्रकृति का संतुलन भी साधु संतों की तपस्या से ही बना हुआ है। अगर इस संसार में साधक-आराधक नहीं होते तो यह पृथ्वी कब की रसातल में समा जाती। ऐसे ही एक संत हैं मध्यप्रदेश के बैतूल जिले के रहने वाले पूज्य संत श्री काली घोड़ी वाले बाबा के प्रिय शिष्य श्री पंकज मुनि फक्कड़ बाबा।
बड़ी संख्या में दर्शन करने पहुंच रहे भक्त
फक्कड़ बाबा इन दिनों हिमाचल प्रदेश के मणि कैलाश पर्वत पर घनघोर तपस्या में लीन हैं। यह पर्वत बेहद कठिन और जीवन के लिए विपरीत परिस्थतियों वाला माना जाता है। यहां उन्हें तपस्या करते हुए लोग बड़ी संख्या में उनके दर्शन कर पुण्य लाभ अर्जित कर रहे हैं।
घने वनों में साधना कर हुए परिपक्व
ज्ञात रहे कि फक्कड़ बाबा पंकज मुनि जी ने कालीघोड़ी के घने वनों में कई-कई दिन निराहार रहकर साधना कर अपने आप को परिपक्व बनाया हैं। ऐसे तपस्वियों के दर्शन बड़े दुर्लभ हैं, जो लोगों में सत्य और सनातन धर्म के विषय में जागरूकता लाने का कार्य भी कर रहे हैं। इनका कहना है अब हमें गहरी निद्रा से जागना है।
मणि महेश पर्वत के बारे में…
मणि महेश पर्वत हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में स्थित है। यह समुद्र तल से 4080 मीटर की ऊंचाई पर स्थित और पीर पंजाल की पहाड़ियों से घिरा है। यहां एक झील है जिसे डल झील के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि भगवान शिव ने देवी पार्वती से शादी के बाद इस झील को बनाया था। इस झील को भगवान शिव का घर भी कहा जाता है। साल में एक बार झील के पास मेला लगता है।
आज तक नहीं कर पाया कोई फतह
एवरेस्ट सहित कई ऊंचे पर्वतों के शिखर तक तो लोग पहुंच चुके हैं, लेकिन मणि महेश पर्वत के शिखर तक आज तक कोई नहीं पहुंच पाया है। इसे लेकर कई किंवदंतियां भी प्रचलित हैं। इनके अनुसार जिन्होंने भी इस पर्वत को फतह करने की कोशिश की तो उनमें से कुछ पत्थर में बदल गए तो कुछ की मौसम खराब होने से मृत्यु हो गई या वापस लौटने को मजबूर हो गए।